जहाँ है अनेकता में एकता,
जहाँ है खाने में विशिष्टता,
जहाँ है परिधान में विभिन्नता।
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जहाँ गौ, धरती, नदियाँ हैं माता,
जहाँ ग्रहों को भी देव है माना,
सभी धर्मों का आदर करना..
ये सिखाया हमें है जाता।
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यहाँ पढ़े जाएं गीता, पुराण,
गूंजे यहाँ मस्जिदों की अज़ान,
यीशु मसीह और वाहे गुरु का..
बसा सबकी साँसों में नाम।
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देश हमारा जैसे इंद्रधनुष,
सातों रंग की अपनी खूबी,
न कोई कम, न है कोई ज़्यादा,
रहे हमारा भारत संपन्न और समृद्ध सदा।
-प्रा..ध🌱